Moral Story in Hindi 2021 नैतिक कहानियाँ

Santu Ghorui
6 min readDec 19, 2020

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हम इस लेख में कुछ Best Moral story in Hindi with Pictures आपके साथ साझा करने वाला है। इन नैतिक कहानियाँ को आप अपनी बचपन में दादा दादी से सुना होगा। यह Best Moral Stories in Hindi with Pictures पड़कर आपको बहुत कुछ सीख मिलने वाली है। आप इन शिक्षा अपने बच्चों को देखकर उसे अपने जीवन के सही रास्ता दिखा सकते हो।

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New Moral Stories in Hindi 2021 बहुत ही रोचक और शिक्षावर्धक है, जिन्हें पढ़कर आपको आनंद भी आएगा और नैतिक शिक्षा भी मिलेगी। इन शिक्षा को प्रयोग करके आप जीवन में सफल हो सकते हो। नीचे कुछ long Moral Stories in Hindi with moral के साथ है जिसे आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

Moral Story in Hindi with Pictures

मुर्ख गधा

मुर्ख गधा Moral Story in Hindi with Pictures

दोस्तों यह कहानी एक मुर्ख गधे की है, एक बार एक गाँव में एक नमक व्यापारी रहता था वह रोज शहर से नमक लाकर गाँव में बेचता था। नमक व्यापारी के एक गधा था नमक व्यापारी ने गधा के पीठ पैर चढ़कर नमक शहर से लेकर आता था उसे रस्ते में एक नदी पार करना पड़ती थी।

एक दिन गधा अचानक नदी में गिर गया और उसीके साथ नमक की थाली भी गिर गया था गये थी गिरते ही सारा नमक पानिमे गुल गयी। और नमक की थाली बहुत हल्का हो गयी, थाली हल्का होनेसे गधा बहुत खुस हुआ फिर गधा ने रोज एक हे चल चलना शुरू कर दिया अगले दिन भी गधा नदी में गिर जातेहै सब नमक नदी में गुल जातेहै।

नमक व्यापारी को गधा के चाल समझ में अह गयी थी, उसने गधा को सबक सिखाने के लिए निर्णय लिया अगले दिन गधा के पीठ पैर एक कपास की थाली लेकर जायेगा। अगले दिन गधा ने फिर से वाही चाल चली गधा को उम्मीद था थाली पानी में गिएते हे हल्का हो जाएगा।

इसलिए वह जान बुझकर पानी में गिर गयी। लेकिन भीगे हुए कपास बहुत ही भरी हो गयी थी फिर गधा को उसे सामना करना पड़ा। गधा ने सबक सिख्लिया तबसे यह चाल गधा ने और कभी नहीं चली उस दिन से नमक व्यापारी भी बहुत खुश थी।

नैतिक शिक्षा : किस्मत हमेशा साथ नहीं देता।

Moral Stories in hindi with Pictures

चतुर लोमड़ी

चतुर लोमड़ी

कुछ साल पहले के बात है एक जंगल में एक लोमड़ी रहते थे कुछ दिनसे वह कुछ खाना नहीं खाई थे वह बहुत हे भूखा थी। उसे कहीं पे भी खाना नहीं मिल रही थी एक दिन लोमड़ी खाने की खोज में जंगल पे गये।

इधर उधर घूमते घूमते उसने देखा एक मारा हठी रास्ता में परा है। भूक मिठेगी आशा में लोमड़ी हठी के पास गया जानेके बाद लोमड़ी अपनी दांतों से हठी का मांस काटने लगा लेकिन कैसे भी हठी का मांस काट नहीं पायें।

क्यूंकि हठी का मांस बहुत ही मोटा और सख्त होता है लोमड़ी हठी के मन्न्स खा नहीं पाया। उसने बहुत प्रयास करने के बाद हठी के बगल में आकर बत्गाये उसे समय लोमड़ी ने एक शेर के आवाज़ सुना शेर ने उसी के तरफ आह रहीथी।

शेर हठी के पास आतेही लोमड़ी विनती होकर शेर को कहा आह्ये महाराज में अप्प केलिए इस मारा हुए हठी को देख रहीथी महाराज भजन करिए। नहीं लोमड़ी में अपना शिकार खुद करती हूँ में मरे हुए जानवर का मांस नहीं खाती, तुम नहीं जानते हो क्या?

यह खाकर शेर वहां से चली गये लोमड़ी मन मन बहुत ही खुश हुआ लकिन लोमड़ी का समस्या भी थी। थोड़ी देर बाद एक बाघ गर्जन करते करते उसी तरफ अह रहीथी तब लोमड़ी ने सोचा बाघ को किसीभी तराशे इधर से भागना होगा।

लोमड़ी बाघ को कहा बाघ भाई अप्प जोल्दी से यहाँ से चला जाइये क्यूंकि में इस हठी को महाराज के लिए सामल कर रक्खा है। शेर महाराज अभी नहाने गई है महाराज बोलके गया कोई बाघ आयगा तो उसे पकड़ कर रखना, महाराज बाघ को मरने की कासम खायी है।

आप जल्दी से चले जाएयेन बाघ लोमड़ी के बात सुनते हे उधर से चला गया। थोड़ी देर बाद एक चीते हठी के पास आया लोमड़ी उसे ढेक कर बहुत ही खुश हुआ उसे पाता था चीते का तेज नाख़ून और दन्त से हठी के मांस कटा जा सकती है।

लोमड़ी हँसते हँसते चीते को स्वागत जनाय, अरे दोस्त बहुत दिनों के बाद इतना दिन आप कहा थे आप को देककर लगरह है आप भूखा हो दोस्त थोडा हठी का मांस खायेए। अह शेर का शिकार है वह अभी नहाने गया है मुझे देक्भाल करने के लिए बोला है।

शेर का शिकार में कैसे खा सकता हूँ नहीं नहीं में नहीं खाऊंगा, लोमड़ी ने कहा तुम एकदम चिन्ता ना करो में उधर देख रही हूँ अगर शेर आएगा तो में तुम्हें आवाज दूंगा तुम चुपके से चले जाना। चीते लोमड़ी के बात सुनकर हठी के पास आया और उसका टुच्चा अपनी नाख़ून से चिर कर मांस निकला।

उसी समय लोमड़ी ने जोर से चिलाया सावधान शेर महाराज अह रही है, आप जल्दी से यहाँ से भाग जाहिए लोमड़ी के बात सुनकर चीते उधर से भाग गया। लोमड़ी बहुत ही खुश हुए खुसी होकर आरामसे हठी का मांस खाने लगा लोमड़ी सोचा इस पुरे हठी में ही खाऊंगा हठी को लोमड़ी ने उसका भजन बनाया।

नैतिक शिक्षा : किसी भी बिपद से बचने के लिए हमेशा सतर्क रहे।

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दो दोस्त और भालू

दो दोस्त और भालू

एक बार की बात है एक गाँव में तारा और राजू दो बच्चे रहते थे दोनों एकही स्कूल में पढ़ती थी वह दोनों बहुत ही अच्छा दोस्त थे। एक दिन स्कूल में छुट्टी के कारन दोनों दोस्त एक जंगल में गये घुमने के लिए। तारा बहुत डरपोक थे वह तो जंगल में जानेसे दर रही थी।

मुझे बहुत दर लगरह है में जंगल की और अन्दर नहीं जयुंगी। तारा की बात सुनके राजू हंसी और कहा दर किस बात की में तुम्हारे साथ हूँ डरना नहीं डरते हुए तारा राजुके साथ जंगल में गया।

जाते जाते राजूने देखा एक भालू उनकी तरफ चलते हुए आह रही थी, राजू बहुत होशियार और चालक थी उसने भालू को देखते ही जाकर एक पेड़ में चढ़ गया। तारा ने राजू को कहा मुझा भी ले चलो मुझे बहुत दर लगता है भालू से राजू तारा के बात सुना नहीं वह फलेये पेड़ पे जाकर चाद्गाये।

भालू उसकी तारा की पास आह रहीथी, तारा एक मिनिटे के लिए सोचा उसे एक बात याद आई स्कूल में शिक्षक ने उसे बताया था भालू कभी भी मरे हुए इन्सान को नहीं खता। तारा उस बात को याद करके अपनी साँस रुक्के कुछ मिनिटे के लिए वहा सो गया।

राजू पेड़ मेसे छुप कर तारा को देख रही थी उसने देखा भालू धीरे धीरे तारा के पास आकर उसे सूखने लगा। फिर कुछ मिनिटे बाद भालू उसे मरे हुए आदमी सोचके वहा से जंगल में चली गयी।

राजू पेड़ के निचे आकर तारा से पुचा दोस्त भालू तुम्हारे कान पे काया बोल रही थी? राजू के बात सुनके तारा हासी और बताये भालू ने मरे कान पे कहा … तुम्हारे जैसे दोस्त से दूर रहने के लिए। जो मुसीबत में छोड़ कर चले जाती है यह कहकर तारा अपनी घर चला गयी।

नैतिक शिक्षा : सच्चा दोस्त वही है जो मुसीबत में काम आये।

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